भारत में डिजिटल पहचान और भुगतान व्यवस्था की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने की तैयारी हो रही है—डिजिटल एड्रेस सिस्टम। यह एक ऐसी योजना है, जिसके द्वारा हर पते को एक यूनिक डिजिटल पहचान दी जाएगी। आइए जानते हैं इस सिस्टम के पीछे की सोच, इसके फायदे और इसे लागू करने की योजना के बारे में।
डिजिटल एड्रेस सिस्टम: भारत का नया डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
डिजिटल एड्रेस सिस्टम एक नई डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में हर मकान, बिल्डिंग, ऑफिस या अन्य लोकेशन्स को एक विशिष्ट डिजिटल एड्रेस प्रदान करना है। इस सिस्टम के अंतर्गत किसी भी पते की जानकारी अब एक सरकारी डाटाबेस में सुरक्षित रूप से संग्रहित की जाएगी, और इसे नागरिकों की अनुमति के बिना साझा नहीं किया जाएगा।
लोगों की गोपनीयता का ख्याल
आजकल कई निजी कंपनियां बिना अनुमति के यूजर्स के पते की जानकारी साझा कर देती हैं। यह सरकार की योजना के बाद बदलने वाला है। डिजिटल एड्रेस सिस्टम में सुरक्षित तरीके से जानकारी संग्रहीत की जाएगी, जिससे लोगों की गोपनीयता की सुरक्षा होगी—यह सुनिश्चित करते हुए कि बिना अनुमति कोई भी जानकारी साझा न हो।
योजना का वर्तमान चरण
डिजिटल एड्रेस सिस्टम का ड्राफ्ट फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है, जिसकी निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) कर रहा है। इस प्रक्रिया में :
- डाक विभाग (India Post) इस योजना के लिए तकनीकी प्रणाली का विकास कर रहा है।
- हर पते को एक निश्चित फॉर्मेट में यूनिक ID प्रदान की जाएगी।
- ड्राफ्ट रिपोर्ट अगले सप्ताह में आने की संभावना है, जिसके बाद जनता से सुझाव लिए जाएंगे।
भारत के लिए यह सिस्टम क्यों आवश्यक है?
वर्तमान समय में, ई-कॉमर्स, फूड डिलीवरी और कूरियर सेवाओं का दायरा तेजी से बढ़ रहा है। इनमें से अधिकांश सेवाओं के लिए सटीक एड्रेस आवश्यक होते हैं।
- गलत या अधूरी एड्रेस डिटेल्स के कारण डिलीवरी में दिक्कतें आती हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, गलत पते के कारण हर साल ₹10 से ₹14 अरब डॉलर का नुकसान होता है, जो भारत की GDP का करीब 0.5% है।
सिस्टम के लाभ
इस सिस्टम के आने से कई लाभ होंगे:
- हर लोकेशन को एक यूनिक डिजिटल एड्रेस मिलेगा।
- यह पते आधार और UPI से लिंक किए जा सकेंगे।
- यूजर्स को सरकारी और निजी सेवाएं सटीक पते पर समय पर मिल सकेंगी।
- पता खोजने और वेरिफाई करने में आसानी होगी।
- गोपनीयता की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
डिजिपिन: एक नई पहल
इसके अलावा, सरकार ने हाल ही में ‘डिजिपिन’ नामक एक पायलट पहल शुरू की है। इसके अंतर्गत कुछ चुनिंदा पते डिजिटल फॉर्मेट में कोड किए गए हैं। डिजिपिन की मदद से हर पते को एक यूनिक कोड दिया जाएगा, जिसे QR कोड की तरह स्कैन किया जा सकेगा। भविष्य में, ये सभी पतों के लिए अनिवार्य हो सकते हैं।
योजना का कार्यान्वयन
डिजिटल एड्रेस सिस्टम का बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा, और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ताकि हर क्षेत्र कवर हो सके। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक यह योजना लागू हो जाएगी।
निष्कर्ष
डिजिटल एड्रेस सिस्टम न केवल भारत की डिजिटल पहचान और भुगतान व्यवस्था को और मजबूत करेगा, बल्कि यह लोगों की रोजमर्रा की ज़िंदगी को भी आसान बनाएगा। इस सिस्टम से न केवल आपको सही समय पर सेवाएं मिलेंगी, बल्कि आपकी गोपनीयता भी सुरक्षित रहेगी। यह कदम भारत को एक सशक्त और विकसित डिजिटल देश बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
इस प्रकार, डिजिटल एड्रेस सिस्टम भारत के विकास का एक शानदार उदाहरण है, और हमें इसकी सफलता की प्रत्याशा है।