भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग में तेजी: वित्त वर्ष 2025 में 8% की वृद्धि!

भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग का भविष्य: ISSDA की नई भविष्यवाणियाँ

चंडीगढ़ में हाल ही में आयोजित ग्लोबल स्टेनलेस स्टील एक्सपो में, इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) ने वित्त वर्ष 2025 में भारत में स्टेनलेस स्टील की खपत के संबंध में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। इसके अनुसार, भारत में स्टेनलेस स्टील की खपत 4.85 मिलियन टन तक पहुँचने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 2024 की तुलना में लगभग 8% अधिक है।

वैश्विक बाजार में भारत का स्थान

यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि भारतीय स्टेनलेस स्टील बाजार वैश्विक स्तर पर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। आमतौर पर, भारत के उद्योगों को कई आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद, स्टेनलेस स्टील का बाजार मजबूत बना हुआ है और कई विशेषज्ञ इसे सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक मानते हैं।

रतन जिंदल का दृष्टिकोण:
जिंदल स्टेनलेस के चेयरमैन, श्री रतन जिंदल ने कहा कि अगर भारत को एक वैश्विक विनिर्माण महाशक्ति बनना है, तो स्टेनलेस स्टील उद्योग एक मजबूत नींव हो सकती है। उन्होंने इस क्षेत्र के विकास के लिए तीन मुख्य मार्गों की पहचान की हैं:

  1. उत्पादन क्षमता बढ़ाना: बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन क्षमता में वृद्धि आवश्यक है।
  2. अनुसंधान और विकास में निवेश: डिजिटल तकनीक का उपयोग और उद्योग व शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को मजबूत करना।
  3. सरकार के साथ साझेदारी: विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना।

भारतीय स्टेनलेस स्टील की खपत: संभावनाएँ और चुनौतियाँ

आईएसएसडीए के अध्यक्ष, श्री राजामणि कृष्णमूर्ति ने कहा कि वैश्विक स्थिरता की चुनौतियों के बीच, स्टेनलेस स्टील की मांग बढ़ रही है। लेकिन आयात के अनियंत्रित प्रवाह, खासकर चीन और वियतनाम से, घरेलू निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

सुरक्षित नीतियाँ:

  • आईएसएसडीए ने सरकार और उद्योग के हितधारकों से सतर्क रहने का अनुरोध किया है ताकि आयात प्रवृत्तियों पर नजर रखी जा सके।
  • आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों को लागू किया जा सके।

आईएसएसडीए की आशाएँ और सरकार की भूमिका

आईएसएसडीए का मानना है कि भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग की रक्षा के लिए सरकार और उद्योग के साथियों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। सरकारी नीतियों का सही दिशा में होना इस क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

भारत में स्टेनलेस स्टील उत्पादन की स्थिति:

  • वर्तमान उत्पादन क्षमता: भारत की स्टेनलेस स्टील उत्पादन क्षमता 7.5 मिलियन टन है।
  • उपयोगिता: मौजूदा स्थिति में लगभग 60% क्षमता का उपयोग हो रहा है।

नतीजा: एक उज्ज्वल भविष्य

भारत के स्टेनलेस स्टील उद्योग की वृद्धि की संभावनाएं बहुत उज्ज्वल हैं। यदि सही नीतियाँ और उपाय लागू किए जाएं, तो देश आने वाले वर्षों में टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता वाले स्टेनलेस स्टील के उत्पादन में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है।

समग्रता में, आईएसएसडीए की भविष्यवाणियाँ और उद्योग के नेताओं की राय इस दिशा में सकारात्मक संकेत देती हैं। हालांकि, उन चुनौतियों का सामना करना भी उतना ही आवश्यक है जो बाहरी आयातों से उत्पन्न होती हैं। अगर हम संतुलित नीतियों और निर्माण क्षमता को बनाए रख सकें, तो स्टेनलेस स्टील भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।

इस प्रकार, आने वाले वर्षों में स्टेनलेस स्टील उद्योग को लेकर उत्साह और अपेक्षाएँ बढ़ने वाली हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस क्षेत्र में कौन सी ऊँचाइयाँ छूता है।

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