पॉलिथीन के खिलाफ छात्रों की शपथ: पर्यावरण के लिए नई सुबह
हाल ही में हरियाणा के रेवाड़ी जिले में एक बेहद दिलचस्प और प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां 27,124 स्कूली बच्चों ने पॉलिथीन का उपयोग न करने की कसम खाई। यह कार्यक्रम राह ग्रुप फाउंडेशन और शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिसमें 62 स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया। इस पहलकदमी का उद्देश्य न केवल बच्चों को सिखाना है, बल्कि पूरे समुदाय को जागरूक करना भी है कि पॉलिथीन हमारे पर्यावरण के लिए कितना हानिकारक है।
जागरूकता अभियान की अनूठी पहल
जागृति बढ़ाने के लिए, इस अभियान में कई गतिविधियों का आयोजन किया गया, जैसे:
- ड्राइंग प्रतियोगिता: छात्रों ने पॉलिथीन के नुकसान और इसके विकल्प के बारे में अपनी कलात्मकता का प्रदर्शन किया।
- रैली: विद्यार्थियों ने गाँवों और कस्बों में जागरूकता बढ़ाने के लिए रैलियाँ निकालीं, जिसमें उन्होंने "पॉलिथीन से नाता तोड़ो" जैसे नारों का उच्चारण किया।
- नुक्कड़ नाटक: विभिन्न नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से भी पॉलिथीन के दुष्प्रभावों को दर्शाया गया।
मुख्य कार्यक्रम एसडी स्कूल खोरी में आयोजित किया गया, जहाँ छात्रों ने विशेष कार्यक्रम में भाग लिया।
पॉलिथीन की वास्तविकता
नरेश सेलपाड़, फाउंडेशन के अध्यक्ष, ने छात्रों को इस तथ्य से अवगत कराया कि प्रत्येक भारतीय औसतन प्रति वर्ष 9.7 किलोग्राम पॉलिथीन का उपयोग करता है। अगर यह आंकड़ा विश्व के स्तर पर देखे तो हर मिनट 20 लाख पॉलिथीन बैग उपयोग में लाए जाते हैं। खासकर, यह जानकर चिंता होती है कि प्लास्टिक बैग को पूरी तरह से खत्म होने में लगभग 1000 वर्ष लगते हैं। ऐसे में, पॉलिथीन को त्यागना न केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी, बल्कि सामूहिक प्रयास भी है।
छात्रों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम के तहत छात्रों ने अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जिसमें पेंटिंग, डिबेट, और भाषण प्रतियोगिताएँ शामिल थीं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से बच्चों में सृजनात्मकता और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा मिलता है। उन्हें यह समझने का मौका मिलता है कि वे पर्यावरण की रक्षा में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
- पेंटिंग प्रतियोगिताएं: छात्रों ने पॉलिथीन के विकल्प सुझाए और पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार साझा किए।
- विभिन्न प्रकार के नारे: जैसे "धरती को स्वर्ग बनाएंगे" को सहारा लेकर उन्होंने अपने इरादों को मजबूत किया।
पॉलिथीन मुक्त भारत की दिशा में कदम
इस प्रकार की जागरूकता रैलियों और कार्यक्रमों का आयोजन केवल सीमित स्थान पर नहीं, बल्कि पूरे देशभर में होना चाहिए। छात्रों को इस प्रकार के अभियानों में भाग लेने से उन्हें अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा करने की ज़िम्मेदारी भी सिखाई जाती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, रेवाड़ी में पॉलिथीन त्यागने की शपथ लेने वाले 27,124 छात्रों का यह कदम न केवल एक व्यक्तिगत निर्णय है, बल्कि यह सभी नागरिकों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। इस प्रकार के जन जागरूकता अभियानों के माध्यम से, हम सब मिलकर एक पॉलिथीन मुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। छात्रों के माध्यम से समाज में बदलाव लाने का यह प्रयास निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और स्वच्छ वातावरण की स्थापना कर सकता है।
पॉलिथीन को छोड़कर पर्यावरण की रक्षा करना आज की आवश्यकता है। आइए हम सब इस आंदोलन का हिस्सा बनें और अपने सामूहिक प्रयासों से एक स्वास्थ्यवर्धक और स्वच्छ भारत का निर्माण करें।