भगवान शनि जयंती पर रेवाड़ी में धूमधाम से भंडारे का आयोजन
हाल ही में रेवाड़ी में भगवान शनि के जन्मोत्सव पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। शनि जयंती का यह पर्व भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान शनि की कृपा प्राप्त करना और शुभ संकल्पों की प्राप्ति है। इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
शनि देव की महिमा
हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। उन्हें कर्मों का फल देने वाला माना जाता है, जिससे हर व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है। शनि जयंती पर विशेष रूप से लोग उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उचित पूजा-अर्चना करते हैं।
- भक्तों का मानना है कि शनि देव की पूजा से समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- विशेष दिन शनि के भक्त अक्सर उपवास रखकर और शनिवार को खास पूजा करने का प्रयास करते हैं।
रेवाड़ी में भंडारे का आयोजन
रेवाड़ी में शनि जयंती के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया गया। विशेषकर मौहल्ला बाला सराय स्थित ज्योतिषान सभा के शिव मंदिर में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यहां पर स्थानीय श्रद्धालुओं और भक्तों ने शामिल होकर भक्ति के रस में डूबकर पूजा-अर्चना की।
- भंडारे में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में थी, जिससे यह आयोजन ऐतिहासिक बना।
- विशेष पूजा-अर्चना के बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें स्वादिष्ट प्रसाद वितरित किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और श्रद्धालुओं का उत्साह
इस धार्मिक अनुष्ठान के हिस्से के रूप में, भक्ति संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। नामी भजन गायक जैसे दुग्गल बहादुरगढ़ और भूपेंद्र पालिया ने भक्तों को भजनों में शामिल कर तालीम दी।
- भजन संध्या रही, जिसमें कई अद्भुत झांकियों का प्रदर्शन हुआ।
- समारोह में नगर पार्षद और भाजपा जिलाध्यक्ष जैसी प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया, जिससे कार्यक्रम का महत्व और भी बढ़ गया।
अनेकों स्थानों पर छबील का आयोजन
इस अवसर पर रेवाड़ी के कई अन्य स्थानों पर भी भंडारे का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने जल वितरण और छबील लगाकर लोगों की प्यास बुझाने का प्रयास किया। यह पहल न केवल शनि देव की कृपा को गति देती है, बल्कि समाज को बांधने का कार्य भी करती है।
- विभिन्न स्थानों पर जैसे भाड़ावास रोड़, रामपुरा मोड़, और नई बस्ती में भी भक्तों ने भजन गाए और प्रसाद वितरण किया।
निष्कर्ष
भगवान शनि की जयंती का यह पर्व रेवाड़ी में एकत्रित श्रद्धालुओं के लिए विशेष बन गया। धार्मिक अनुष्ठान, भंडारे, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने न केवल श्रद्धा को बढ़ावा दिया, बल्कि लोगों को एकजुट भी किया। इस दिन की महत्ता हर भक्त के हृदय में बसी रहती है और यह उन्हें अपने कर्मों की याद दिलाती है।
भगवान शनि का यह जयंती समारोह आने वाले वर्षों में भी इसी तरह भव्यता से मनाया जा सके, यही कामना है। ऐसे आयोजनों से समाज में धार्मिक भावनाएँ और एकता बढ़ती है, जो हमारे लिए एक सकारात्मक संकेत है।
याद रखें, हर व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भुगतना होता है, इसलिए भगवान शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए।