चरक भवन अस्पताल में लिफ्टों की अव्यवस्था: मरीजों को हो रही गंभीर दिक्कतें

मरीजों की मुश्किलें: चरक अस्पताल में अव्यवस्था की कहानी

अक्सर जब हम अस्पताल जाते हैं, तो हमें उम्मीद होती है कि हमे वहां ऐसी सुविधाएं मिलेंगी जो हमारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल कर सकें। लेकिन अगर वे सुविधाएं सही से काम न करें, तो मरीज और उनके अटैंडरों के लिए यह यात्रा बेहद कठिन और असुविधाजनक हो जाती है। हाल ही में उज्जैन के आगर रोड पर स्थित चरक भवन में कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली है, जहां मरीजों और उनके परिजनों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

लिफ्टों की अव्यवस्था: कठिनाई का मुख्य कारण

चरक भवन, जो प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है, उसमें कई समस्याएं सामने आई हैं। अस्पताल में छह मंजिलें हैं, लेकिन लिफ्टों की स्थिति बेहद गंभीर है:

  • बंद लिफ्टें: अस्पताल में कुल 10 लिफ्ट हैं, जिनमें से आधी लिफ्टें बंद हैं। ये लिफ्टें महीनों से खराब पड़ी हैं, जिससे मरीज और उनके परिजन ऊपर मंजिलों तक पहुंचने के लिए मजबूरन सीढ़ियों का सहारा लेने को विवश हो जाते हैं।

  • चालू लिफ्टों की हालत: जो लिफ्टें चालू हैं, उनकी मेंटेनेंस की कमी और खराब सेंसर के कारण वे खुद को रोकते रहते हैं या अचानक बंद हो जाते हैं। यह स्थिति मरीजों के लिए ना केवल अव्यवस्था बल्कि खतरनाक भी बन जाती है।

मरीजों की भ्रांति: लिफ्ट के बटन

अस्पताल की एक लिफ्ट में तो ग्राउंड फ्लोर जाने का बटन ही नहीं है। इसके स्थान पर माइनस 1 लिखा एक बटन है। कई मरीज इस भ्रांति में फंस जाते हैं कि यह बटन ग्राउंड फ्लोर की ओर नहीं ले जाएगा। इस कारण अनेक मरीज पहले फ्लोर पर उतरकर सीढ़ियों का सहारा लेते हैं, जिससे उनकी अधिक असुविधा होती है।

साफ-सफाई की कमी: गंदगी का अंबार

अस्पताल में साफ-सफाई की भी बेहद कमी पाई जाती है। लिफ्टों के अंदर गुटखे की पिचकारी से जगह-जगह चित्रकारी की गई है, जो न केवल एक बदबू फैलाने वाली स्थिति है, बल्कि यह अस्पताल की साफ-सफाई के प्रति अधिकारियों की लापरवाही भी दर्शाती है। इस स्थिति को सुधारने की बजाय, अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया है, जिसके कारण अस्पताल में आने वाले लोगों को बुरी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

समाधान की दिशा में कदम

हालांकि, अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अजय दिवाकर ने कहा कि समस्याएं सही हैं, लेकिन वे इस मुद्दे का हल निकालने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन ज़रूरत इस बात की है कि अस्पताल प्रबंधन इस स्थिति को गंभीरता से लेकर उचित कदम उठाए।

  1. लिफ्टों की मरम्मत: सबसे पहले बंद लिफ्टों की शीघ्र मरम्मत की जानी चाहिए ताकि मरीजों को बिना किसी परेशानी के सुविधाओं का लाभ मिल सके।

  2. साफ-सफाई में सुधार: अस्पताल में नियमित साफ-सफाई की व्यवस्था को मजबूती दी जानी चाहिए ताकि गंदगी और बदबू से छुटकारा पाया जा सके।

  3. जन जागरूकता: मरीजों को लिफ्टों के सही उपयोग के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता है ताकि गलतफहमियां न हों।

निष्कर्ष

एक अस्पताल का मुख्य उद्देश्य मरीजों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना है, लेकिन अगर वहां सही सुविधाएं मौजूद नहीं हैं, तो यह उद्देश्य अधूरा रह जाता है। उम्मीद है कि उज्जैन का चरक भवन जल्दी ही अपनी स्थिति में सुधार करेगा और मरीजों को एक सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करेगा। आशा करते हैं कि संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर जल्द ही उचित कदम उठाएंगे।

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