हिमाचल में मजदूर योजना के नाम पर बड़ी धोखाधड़ी, 10 लाख का फर्जीवाड़ा!

हिमाचल प्रदेश में श्रमिक कल्याण योजनाओं का फर्जीवाड़ा: एक नई गुत्थी

हाल ही में हिमाचल प्रदेश भवन निर्माण एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें कई अपात्र लोगों ने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का गलत तरीके से लाभ उठाया है। इस मुद्दे पर बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव सिंह कंवर ने एक समीक्षा बैठक के बाद प्रेस वार्ता में जानकारी साझा की।

फर्जी लाभार्थियों की पहचान

बॉड के एक जांच में पाया गया कि हमीरपुर जिले के बड़सर की 9 ग्राम पंचायतों और भोरंज उपमंडल की एक पंचायत में 38 ऐसे लोगों की पहचान हुई है जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए योजनाओं का लाभ उठाया। ये लाभार्थी कई सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों के परिजन हैं। इस प्रकार के भ्रष्टाचार ने न केवल तत्कालीन लाभार्थियों को आर्थिक लाभ पहुँचाया है, बल्कि उन असली श्रमिकों के हकों पर भी डाका डाला है, जो वास्तव में इस सहायता के हकदार थे।

वित्तीय नुकसान का आकलन

हालांकि यह मामला गंभीर है, लेकिन अब तक की जांच में केवल 10 लाख रुपये से अधिक के फर्जी लाभ की पहचान हुई है। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इन अपात्र वर्ग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एफआईआर दर्ज करवाना और उन्हें ली गई राशि की वसूली करना शामिल है।

भविष्य के लिए तैयारियाँ

सरकारी अधिकारी अब यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि ऐसी घटनाएँ फिर से न घटित हों। इसके तहत एक विशेष KYC (Know Your Customer) सत्यापन अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। इस प्रक्रिया का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपात्र लाभार्थियों के नाम योजनाओं से हटाए जा सकें और वास्तविक जरूरतमंद श्रमिकों को समर्थन मिल सके।

  • प्रत्येक लाभार्थी की पात्रता की जांच की जाएगी
  • संपत्ति और पेशे से जुड़े दस्तावेजों की जांच अनिवार्य होगी
  • अपने हक को पाने वालों की पहचान सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा

राजनीतिक विवाद और बेरोजगारी की समस्या

इस मुद्दे पर विपक्ष भी सक्रिय हो गया है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी करण नंदा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार की जड़ें योजनाओं तक पहुंचा दी हैं। उनका कहना है कि जब राज्य आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, तब सरकार अपनों को लाभ पहुँचाने में व्यस्त है। इसके साथ ही नंदा ने बेरोजगारी की समस्या पर भी सवाल उठाए।

उन्होंने कहा, "सरकार द्वारा हमीरपुर राज्य चयन आयोग को भंग कर दिए जाने के कारण हजारों युवा रोजगार से वंचित रह गए हैं।" इससे स्पष्ट होता है कि न सिर्फ अनुशासनहीनता बल्कि नीतियों की कमी भी बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है।

निष्कर्ष

हिमाचल प्रदेश में श्रमिक कल्याण योजनाओं के चलते उत्पन्न इस फर्जीवाड़े ने न केवल सरकारी योजनाओं के लक्ष्य को कमजोर किया है, बल्कि कई निरीह श्रमिकों के जीवन पर प्रभाव डाला है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में कठोर कार्रवाई करे ताकि भविष्य में इस प्रकार की समस्या से निपटा जा सके।

समाज के हर वर्ग को चाहिए कि वे सजग रहें और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं। केवल हम सभी की सजगता से ही हम अपने हक का संरक्षण कर सकते हैं और ऐसे स्वार्थी तत्वों को चुनौती दे सकते हैं।

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