गंगा एक्सप्रेसवे में ‘जितनी दूरी, उतना टोल’ प्रणाली: एक नई शुरुआत
उत्तर प्रदेश की परिवहन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में, गंगा एक्सप्रेसवे पर लागू होने वाली ‘जितनी दूरी, उतना टोल’ नीति अब साफ नजर आ रही है। यह नीति न केवल टोल की प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि इसे और अधिक पारदर्शी भी बनाएगी। क्या आप जानते हैं कि यह सिस्टम वाहन चालक को उनके यात्रा के अनुसार सही टोल शुल्क देने की अनुमति देगा? चलिए, इस नई व्यवस्था के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
टोल वसूली की नई प्रणाली
गंगा एक्सप्रेसवे का यह नया मॉडल खासकर उन वाहन चालकों के लिए फायदेमंद साबित होगा, जो कम दूरी की यात्रा करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई वाहन चालक लहरावन (संभल) से प्रवेश करता है और खिरनी गेट से बाहर निकलता है, तो उसे केवल 24 किमी के सफर का ही टोल चुकाना होगा। इस प्रणाली से निम्नलिखित लाभ मिलेंगे:
- सटीकता: अब टोल की गणना दूरी के अनुसार होगी, जिससे गलतफहमी खत्म होगी।
- अधिक पारदर्शिता: यात्रियों को पता होगा कि वे कितनी दूरी तय कर रहे हैं और उन्हें कितना टोल चुकाना है।
- आर्थिक बचत: कम दूरी पर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए अधिक टोल नहीं होगा।
एक्सप्रेसवे के इंटरचेंजिंग पॉइंट
गंगा एक्सप्रेसवे के संभल जिले में दो प्रमुख इंटरचेंजिंग पॉइंट हैं:
- लहरावन (बहजोई के समीप)
- खिरनी (संभल क्षेत्र में)
इन पॉइंट्स पर रैंप टोल बूथ स्थापित किए जाएंगे, जिसे टोल वसूली के लिए प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा, स्थानीय वाहन चालकों के लिए फ्री सर्विस लेन भी बनाई जा रही है, जिससे उन्हें बिना किसी टोल का भुगतान किए यात्रा करने की सुविधा मिलेगी।
निर्माण कार्य का प्रगति और समय सीमा
गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य अब लगभग 90 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। यूपीईडा के अनुसार, इसे अब अगस्त 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा, और सितंबर 2025 से आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इससे पहले, इसका लक्ष्य दिसंबर 2024 का था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से इसमें देरी हुई है।
यात्रियों के लिए सुविधाएं
गंगा एक्सप्रेसवे पर एक अच्छी यात्रा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं, जैसे:
- मुख्य टोल प्लाजा: दो मुख्य टोल प्लाजा के अलावा, 15 रैंप टोल प्लाजा भी बनाए जाएंगे।
- विश्रामगृह और शौचालय: यात्रियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, फूड कोर्ट और विश्रामगृह जैसी सुविधाएं भी तैयार की जा रही हैं।
यात्रा का समय और कनेक्टिविटी
गंगा एक्सप्रेसवे की शुरुआत से यात्रियों के लिए यात्रा का समय भी काफी कम हो जाएगा। मेरठ से प्रयागराज की दूरी अब केवल 6 से 7 घंटे में तय की जा सकेगी, जबकि वर्तमान में यह लगभग 12-14 घंटे लगती है। इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट और अन्य सरकारी कार्यों के लिए आवागमन भी सुगम हो जाएगा।
सुरक्षा व्यवस्था: एक्सप्रेसवे पर CCTV निगरानी और हर 30 किमी पर पुलिस सहायता चौकियां भी स्थापित की जा रही हैं, जिससे सुरक्षा में सुधार होगा।
निष्कर्ष: लंबी दूरी की यात्रा को सरल बनाना
गंगा एक्सप्रेसवे पर लागू होने वाली ‘जितनी दूरी, उतना टोल’ प्रणाली एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल टोल वसूली की प्रक्रिया को सरल करेगा, बल्कि यात्रियों के लिए सस्ती और मेडिटेटेड सफर की सुविधा भी प्रदान करेगा। भविष्य में, इसे 8 लेन तक विस्तारित किया जाएगा, जिससे यातायात की भीड़भाड़ को कम किया जा सकेगा।
इस नई यात्रा व्यवस्था का लाभ उठाने के लिए तैयार रहें और गंगा एक्सप्रेसवे की यात्रा से जुड़ी संभावनाओं का आनंद लें!