बिजली चोरी रोकने की नई पहल: विद्युत निगम की विजिलेंस टीम की सख्ती
आजकल बढ़ती बिजली चोरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके चलते न केवल विद्युत निगम को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि यह प्रणाली की स्थिरता को भी प्रभावित कर रहा है। इसी संदर्भ में, विद्युत निगम ने अपनी विजिलेंस टीम की कार्रवाई को और अधिक व्यवस्थित करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। अब विद्युत चोरी रोकने के लिए लगातार योजनाबद्ध छापेमारी की जा रही है।
बिजली चोरी पर अब रोजाना होगी योजनाबद्ध छापेमारी
विद्युत निगम ने यह निर्णय लिया है कि अब से बिजली चोरी के मामले में छापेमारी बेतरतीब नहीं होगी। इसके बजाय, एक तय रोस्टर के आधार पर औपचारिक रूप से कार्यवाही की जाएगी। विभाग के अधीक्षण अभियंता अब साप्ताहिक रोस्टर तैयार कर रहे हैं, जिसमें तय होगा कि किस दिन कौन सी विजिलेंस टीम किस क्षेत्र में जाएगी।
- फायदे:
- छापेमारी को सुनियोजित ढंग से करना।
- चोरी के मामलों का तेजी से निपटान।
- उपभोक्ताओं के प्रति पारदर्शिता में वृद्धि।
अधीक्षण अभियंता का योगदान
विजिलेंस कार्यवाही को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अधीक्षण अभियंता अब साप्ताहिक रोस्टर तैयार कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में सभी चार वितरण खंड शामिल हैं। इससे न केवल कार्रवाई का दायरा बढ़ा है, बल्कि यह सुनिश्चित हुआ है कि हर क्षेत्र की समुचित निगरानी हो सके।
एंटी थेफ्ट थाने में दर्ज मुकदमे और जुर्माना
छापेमारी के दौरान, यदि किसी उपभोक्ता द्वारा बिजली चोरी की जाती है, तो उसके खिलाफ तुरंत एंटी थेफ्ट थाने में एफआईआर दर्ज की जाती है। इसके साथ ही, बिजली का उपयोग करने के आधार पर जुर्माना भी वसूला जाता है।
- नियमित प्रक्रिया:
- मुकदमे का पंजीकरण: बिजली चोरी होने पर संबंधित उपभोक्ता के खिलाफ एफआईआर।
- जुर्माना: इस्तेमाल की गई बिजली के अनुसार राशि का निर्धारण।
तत्काल कार्रवाई करने के मामले
विशेषकर, मीटर में टेम्परिंग या तार से सीधी चोरी के मामलों में विजिलेंस टीम तुरंत कार्रवाई कर रही है। ऐसे मामलों की तकनीकी जांच के जरिए पता लगाया जाता है कि चोरी की गई बिजली की मात्रा कितनी है, और उसके हिसाब से विधिक कार्रवाई की जाती है।
उपभोग और कनेक्शन क्षमता का मूल्यांकन
विजिलेंस टीम अब सिर्फ चोरी की जांच नहीं कर रही है, बल्कि उपभोक्ता के कनेक्शन की क्षमता का भी मूल्यांकन कर रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उपभोक्ता अपनी आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग नहीं कर रहा है।
- अनुचित लोड की पहचान:
- यदि उपभोक्ता ने कम क्षमता वाले कनेक्शन के तहत अधिक खपत की है, तो यह चोरी की ओर इशारा कर सकता है।
बकाया वसूली की चुनौती
कई दशकों से विद्युत निगम के कई लाख रुपये बिजली बिल के रूप में बकाया हैं, जिससे विभाग को अतिरिक्त चुनौती मिल रही है। बकाया वसूली और बिजली चोरी रोकने के दोनों प्रयास एक साथ चलाए जा रहे हैं।
विजिलेंस अवर अभियंता देवेंद्र सिंह ने बताया कि अभी तक कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया है, लेकिन छोटे मामलों में कार्यवाही नियमित रूप से जारी है।
निष्कर्ष
इन सभी प्रयासों के साथ, विद्युत निगम ने बिजली चोरी को रोकने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यदि यह प्रक्रिया सफल होती है, तो न केवल विद्युत निगम को आर्थिक लाभ होगा, बल्कि लोगों के लिए बिजली की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। यही नहीं, यह विद्युत प्रणाली की स्थिरता को भी बढ़ावा देगा। आपका क्या अनुभव है बिजली चोरी के मामले में? क्या आपको लगता है कि ये प्रयास प्रभावी होंगे? अपने विचार हमारे साथ साझा करें!