अमूल दूध बिजनेस: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया अध्याय
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया या फिर यूरोप, हर जगह भारतीय उत्पादों की पहचान तेजी से बढ़ रही है। इसी क्रम में, भारत की प्रतिष्ठित डेयरी ब्रांड अमूल अब अपने पंख फैलाने का निर्णय लिया है। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) ने हाल ही में घोषणा की है कि उसने स्पेन की प्रमुख सहकारी संस्था COVAP के साथ साझेदारी की है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्पेन और यूरोपीय संघ (EU) में अमूल दूध का विपणन करना है।
स्पेन के बड़े शहरों में अमूल दूध की शुरुआत
इस साझेदारी के तहत अमूल दूध की बिक्री सबसे पहले स्पेन के दो प्रमुख शहरों, मैड्रिड और बार्सिलोना में शुरू होगी। इसके बाद मलागा, वालेंसिया, एलिकांटे, सेविले, कॉर्डोबा जैसे अन्य शहरों में भी दूध की आपूर्ति की जाएगी। न केवल स्पेन, बल्कि पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में भी अमूल दूध की उपस्थिति होगी।
GCMMF के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने इस साझेदारी को गर्व और सम्मान का विषय बताया है। उनका मानना है कि यह कदम न सिर्फ अमूल के लिए, बल्कि भारत की सहकारी शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने का एक अच्छा अवसर है।
2025 में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष का महत्व
संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस अवसर पर, अमूल का यह प्रयास भारतीय और वैश्विक डेयरी किसानों को एक मंच पर लाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
जयेन मेहता का कहना है:
"यह साझेदारी हमारी अगुवाई में भारत के किसानों को वैश्विक स्तर पर एक पहचान दिलाने का कार्य करेगी।"
भविष्य के लक्ष्य: जर्मनी, इटली, स्विट्ज़रलैंड
अमूल केवल स्पेन और पुर्तगाल तक सीमित नहीं रहेगा। कंपनी ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए जर्मनी, इटली और स्विट्ज़रलैंड जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों में भी अपने उत्पादों की पेशकश करने की योजना बनाई है। आने वाले वर्षों में, अमूल को इन बाजारों में एक बड़ी उपस्थिती मिल सकती है।
COVAP के लिए नए अवसर
COVAP (Cooperativa Ganadera del Valle de Los Pedroches) के अध्यक्ष रिकार्डो डेलगाडो विज़कैनो ने इस साझेदारी पर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ न केवल स्पेन में उनके ब्रांड की पहुंच बढ़ाएगा, बल्कि भारत के किसानों को भी लाभ पहुंचाएगा।
"यह साझेदारी सहकारिता की मूल भावना को तथा मजबूत करेगी, जिससे दोनों देशों के डेयरी किसान मिलकर आगे बढ़ सकेंगे।"
अमूल की यात्रा: 1946 से आज तक
अमूल की यात्रा 14 दिसंबर 1946 को एक छोटी सी सहकारी समिति के रूप में शुरू हुई थी। तब 250 लीटर दूध की क्षमता से शुरू होकर आज अमूल 30 लाख लीटर से अधिक दूध का प्रोसेसिंग करने में सक्षम है। डॉ. वर्गीज कुरियन, जिन्हें भारत का मिल्कमैन भी कहा जाता है, ने इस बदलाव के पीछे मुख्य भूमिका निभाई है। उनकी दृष्टि ने अमूल को बड़ी ताकत बना दिया है।
भैंस के दूध का अनोखा उपयोग
डॉ. कुरियन ने पहली बार भैंस के दूध से पाउडर बनाने की तकनीक विकसित की। यह नई तकनीक भारत को दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। आज भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है बल्कि अमूल इसके गर्व की प्रतीक बन चुका है।
वैश्विक ब्रांडिंग की दिशा में अमूल के कदम
स्पेन और यूरोप में अमूल की उपस्थिति केवल व्यापार का विस्तार नहीं है, बल्कि यह भारतीय सहकारिता मॉडल की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल ब्रांड अमूल को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भारतीय डेयरी किसानों को भी नए अवसर प्राप्त होंगे।
इस प्रकार, अमूल का अंतरराष्ट्रीय विस्तार न केवल भारत की डेयरी उद्योग की प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह भारतीय किसान और सहकारी आंदोलन की ताकत को भी बयां करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि how अमूल इस नई यात्रा में कितनी सफलता प्राप्त करता है।