रेजांगला शहीद सम्मान यात्रा: शहीदों की शहादत को स समर्पण
महेंद्रगढ़, हरियाणा: हरियाणा के महेंद्रगढ़ कस्बे में रेजांगला शहीद सम्मान यात्रा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह यात्रा राजस्थान के जोधपुर से शुरू होकर लेह-लद्दाख तक जाएगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
यात्रा का आयोजन नारनौल में यादव कल्याण सभा द्वारा किया गया, जहां पूर्व मंत्री व विधायक ओमप्रकाश यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर रेजांगला युद्ध के एकमात्र जीवित योद्धा कप्तान रामचंद्र यादव और शहीद परिवारों के सदस्यों को सम्मानित किया गया।
रेजांगला की ऐतिहासिक गाथा
रेजांगला युद्ध 1962 में भारत-चीन युद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस युद्ध में भारतीय सेना के 120 जवानों ने 5000 से अधिक चीनी सैनिकों का सामना किया। भाईचारे और साहस का प्रतीक यह युद्ध हमारे इतिहास में एक अमर गाथा के रूप में जीवित है।
- तारीख: 18 नवंबर 1962
- स्थान: लद्दाख की चुशूल घाटी
- युद्ध करने वाले: 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी के 120 जवान
इस युद्ध में अहीरवाल क्षेत्र के जवान ने शौर्य और पराक्रम का उदाहरण पेश किया, जिसने कभी भी अपने देश की आन और बान को गिरने नहीं दिया।
सम्मान समारोह का महत्व
इस प्रकार की यात्राएँ केवल एक गौरवमयी अतीत की याददिहानी नहीं कराती, बल्कि हमारी युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करती हैं। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा, "शहीदों की बदौलत ही हम अमन चैन की सांस ले रहे हैं। उनकी शहादत केवल एक व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि सबका होता है।"
समारोह में जब कप्तान रामचंद्र यादव को स्मृति चिन्ह एवं शाल पहनाई गई, तो वहां उपस्थित जनसमूह ने जोशीले नारे लगाए। यह न केवल उनके लिए बल्कि सभी शहीदों के प्रति एक श्रद्धांजलि थी।
यात्रा का उद्देश्य और महत्व
रेजांगला शहीद सम्मान यात्रा का लक्ष्य है:
- शहीदों की शहादत को याद करना: शहीदों की गाथाओं को जन-जन तक पहुँचाना।
- संवेदनशीलता जागरूक करना: युवाओं को अपने देश की सेवा में प्रेरित करना।
- सांस्कृतिक एकता का प्रतीक: विभिन्न समुदायों को एक साथ लाना और एकता का संदेश फैलाना।
यात्रा विभिन्न स्थानों पर रूककर शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित करेगी, ताकि जनसाधारण में इस गौरवपूर्ण इतिहास की जानकारी बढ़े।
शहीदों की याद में एक कदम आगे
मौजूदा समय की इस यात्रा के साथ-साथ विभिन्न शैक्षणिक संस्थान और स्थानीय संगठन भी शहीदों की शहादत को सम्मानित कर रहे हैं। जिले के कई स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम और लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं ताकि युवा पीढ़ी में देशभक्ति का जज्बा कायम रहे।
यात्रा का समापन लेह-लद्दाख में होगा, जहां इसे एक भव्य समारोह के साथ समाप्त किया जाएगा। यह न केवल शहीदों को सम्मानित करने का प्रयास है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए।
निष्कर्ष
रेजांगला शहीद सम्मान यात्रा हमारे बहादुर जवानों की शहादत को अमर रखती है। यह न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें गर्व है कि हम ऐसे देश में रहते हैं जहाँ लोग अपने जवानों की शहादत को याद रखने और सम्मानित करने के लिए एकजुट होते हैं। आइए, हम सब भी इस यात्रा का हिस्सा बनें और शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करें।