अमृतसर में नार्को-हवाला सिंडिकेट का पर्दाफाश
हालिया दिनों में अमृतसर कमिश्नरेट पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जेल में सक्रिय एक नार्को-हवाला गिरोह का खुलासा किया है। इस गिरोह के सदस्य, जो कि एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा हैं, पिछले काफी समय से पंजाब में नशीले पदार्थों के व्यापार और हवाला लेन-देन में लिप्त थे। इस ऑपरेशन के दौरान, पुलिस ने 4.526 किलोग्राम हेरोइन और 8.7 लाख रुपए की ड्रग मनी बरामद की है।
गिरोह का संचालन और गिरफ्तारियां
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड अरशदीप सिंह, जो फिलहाल गोइंदवाल जेल में बंद है, अपने साथी अपराधियों करनदीप, जसप्रीत, गुरमीत, रजिन्दरपाल और मलकीत के साथ मिलकर नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहा था। इन आरोपियों की पहचान निम्नलिखित है:
- करनदीप सिंह (करन) – 25 वर्ष, अलगों खुर्द, तरन तारन
- जसप्रीत सिंह – 20 वर्ष, सलोदी, लुधियाना
- अरशदीप सिंह (अरस) – 22 वर्ष, महिन्दीपुर, तरन तारन
- गुरमीत सिंह (गीतू) – 24 वर्ष, सुखेरा बोदला, फाजिल्का
- रजिन्दरपाल सिंह (नikka) – 24 वर्ष, कोलोवाल, अमृतसर
- मलकीत सिंह – 28 वर्ष, हवेलियां, तरन तारन
गिरोह का तस्करी और हवाला नेटवर्क
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि गिरोह के सदस्य विभिन्न माध्यमों से नशीले पदार्थों की खेपें सरहद पार से प्राप्त कर रहे थे। इनमें से कुछ प्रमुख बातें हैं:
- नशे की खेप का वितरण: गिरोह के सदस्य नशीले पदार्थों की खेप को पंजाब के विभिन्न जिलों में बांट रहे थे।
- हवाला नेटवर्क: गिरोह द्वारा अर्जित धन को सीधे हवाला चैनलों के माध्यम से दुबई और पाकिस्तान भेजा जा रहा था।
- जेल में संचालन: सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अरशदीप जेल से भी इस तस्करी का संचालन कर रहा था, जो यह दर्शाता है कि जेल में भी नशीली दवाओं के व्यापार का नेटवर्क सक्रिय है।
जांच की प्रगति और साक्ष्य
डीजीपी ने बताया कि अरशदीप के पास से फोन भी बरामद किया गया है, जिसमें सरहद पार के तस्करों के साथ बातचीत के महत्वपूर्ण सबूत मिल सकते हैं। यह फोन उनके अवैध गतिविधियों के मामले में विशेष महत्व रखता है।
पुलिस कमिश्नर अमृतसर, गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने भी मामले की गम्भीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई और आगे की जांच जारी है। उनका उद्देश्य न केवल गिरोह के सदस्यों को पकड़ना है, बल्कि उन्हें सरहद पार के तस्करों से भी जोड़ने वाले सभी लिंक को समाप्त करना है।
निष्कर्ष
नार्को-हवाला सिंडिकेट्स का विकास और उनके संचालन के तरीके समाज के लिए एक गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। कानून प्रवर्तन एजेंसियों की यह जिम्मेदारी है कि वे इन गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें और समाज को सुरक्षित रखें। अमृतसर पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल इस विशेष गिरोह का पर्दाफाश किया है, बल्कि इस मुद्दे पर एक गंभीर चर्चा भी जगाई है। हमें उम्मीद है कि ऐसे नेटवर्क के खिलाफ और कार्रवाई की जाएगी, ताकि हमारे समाज को इस खतरे से मुक्त किया जा सके।
यदि आपको इस मामले से संबंधित और जानकारी चाहिए या किसी अन्य मामलों पर चिंता है, तो हमसे संपर्क करें और हम आपकी जानकारी को लेकर अवश्य चर्चा करेंगे।